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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती here है.